google01b5732cb2ec8f39 स्वामी विवेकानंद ३१ बीमारियों से पीड़ित थे ~ আর্যবীর आर्यवीर aryaveer

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स्वामी विवेकानंद ३१ बीमारियों से पीड़ित थे

विवेकानंद ३१ बीमारीयों से पीड़ित थे, ये एक नंबर का मांसाहारी प्राणी थे!




स्वामी विवेकानंद ३१ बीमारियों से पीड़ित थे। शायद यही वजह रही कि इस नकली संन्यासी का महज ३९ साल की उम्र में ही कामतमाम हो गया।

मशहूर बांग्ला लेखक शंकर की पुस्तक ‘द मॉन्क एस मैन’ में कहा गया है कि निद्रा, यकृत, गुर्दे, मलेरिया, माइग्रेन, मधुमेह व दिल सहित ३१ बीमारियों से स्वामी विवेकानंद को जूझना पड़ा था। शंकर ने स्वामी विवेकानंद की बीमारियों का उल्लेख संस्कृत के एक श्लोक ‘शरियाम ब्याधिकमंदिरम’ से किया है।
इसका मतलब है कि ‘शरीर बीमारियों का मंदिर होता है।’
इतनी बीमारियों का सामना करने वाले विवेकानंद ने शारीरिक मजबूती पर
जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि गीता पढ़ने से अच्छा फुटबॉल खेलना है। विवेकानंद की एक बीमारी उनका निद्रा रोग से ग्रसित होना था। उन्होंने २९
मई, १८९७] को शशिभूषण घोष के नाम लिखे पत्र में कहा था कि मैं अपनी जिंदगी में कभी बिस्तर पर लेटते ही नहीं सो सका।

यह भी पता चला है कि विवेकानंद मधुमेह से भी पीड़ित थे और उस वक्त इस बीमारी की कारगर दवा उपलब्ध नहीं थी। शंकर लिखते हैं कि विवेकानंद ने बीमारियों से निजात पाने के लिए उपचार के कई माध्यमों का सहारा लिया। इसमें एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेद की विधाएं शामिल थीं।
लेखक के अनुसार स्वामी विवेकानंद १८९७ में अधिक तनाव और भोजन की कमी के कारण काफी बीमार हो गए थे। उसी दौरान वह पित्त में पथरी और दस्त से भी पीड़ित हुए। कई बीमारियों से लड़ते हुए चार जुलाई १९०२ को विवेकानंद का ३९ साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था।

शंकर ने इस बात का भी खुलासा किया कि स्वामी विवेकानंद ने भारत लौटने के लिए अपनी मिस्र की यात्रा में कटौती क्यों की थी। दरअसल विवेकानंद ने मिस्र में घोषणा की थी कि ४ जुलाई को उनका देहांत हो जाएगा। उनका कहना था कि मृत्यु के समय वे भारत में अपने गुरुभाइयों के समीप रहना चाहते हैं।
बहुत लोगों का मानना है कि अधिक मांस मछली खाने से उनकी अतंडियां भी गल गई थीं ज्स कारण इतनी अल्प आयु में उनकी मृत्यु हो गई |

ये एक का नंबर ढोंगी मक्कार और मांसाहारी था|

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